भारत के लैंडर विक्रम को खोज पाने में नासा का लूनर क्राफ्ट या LRO (Lunar Reconnaissance Orbiter) नाकाम रहा है। इसके साथ ही इसको लेकर पिछले करीब दो दिन से चल रही गहमागहमी भी खत्म हो गई। पहले माना जा रहा था कि एलआरओ इस काम को बखूबी अंजाम दे पाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसरो को भी एलआरओ से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वह उतना काम भी नहीं कर पाया जितना चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे भारत के ऑर्बिटर ने कर दिखाया था। आपको बता दें कि 7 सितंंबर को लैंडर विक्रम की क्रेश लैंडिंग चांद की सतह पर हुई थी। लेकिन ऐसा होने से कुछ मिनट पहले ही इसका संपर्क इसरो के मिशन कंट्रोल रूम से टूट गया था। इसके बाद इसकी कोई जानकारी इसरो को नहीं मिल सकी थी।
इसरो ने पता लगाई थी विक्रम की पॉजीशन
9 सितंबर को इसरो ने ट्वीट कर बताया था कि चांद के चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ने विक्रम की पॉजीशन का पता लगा लिया है और इसके ऊपर से उड़ते हुए उसने इसकी एक थर्मल इमेज भी क्लिक की है। हालांकि इसरो ने कोई इमेज इसके बाद रिलीज नहीं की थी। नासा ने विक्रम की पॉजीशन का पता लगाने की बात कही थी। नासा के एलआरओ को यह काम अंजाम देना था। एलआरओ वर्ष 2009 से ही चांद की परिक्रमा कर रहा है। विक्रम की खोज के लिए एलआरओ को अपनी ऊंचाई को 100 किमी से घटा कर 90 किमी करना था। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एलआरओ को उसी रास्ते पर उड़ान भरनी थी जिस रास्ते पर विक्रम के होने की पहली जानकारी मिली थी।इस दौरान ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter camera) को उसकी इमेज भी क्लिक करनी थी।एलआरओ जिस वजह से अपने इस काम को अंजाम देने में नाकामयाब रहा है उसकी वजह वही है जिसके बारे में भारत पहले ही कह चुका था। दरअसल, जिस जगह पर विक्रम है वह हिस्सा अब अंधकार में डूबा हुआ है। इस वजह से एलआरओ अपने काम में विफल रहा है।